खाली प्लाट था बीच में , पड़ा रहा कुछ साल ।
बदल गया भाग्य उसका , वो हो गया निहाल ।।
वो हो गया निहाल , कहे मुझको नंबर दो ।
इधर-उधर दो तीन , दो बटा एक नंबर दो ।
कह’वाणी’ कविराज, यही अदा है निराली ।
यही दिशा निर्देश , मिले बीच प्लाट खाली ।।
कवि अमृत 'वाणी'