कर-कर भारी मनुहार

नंबर के इस काम में, दो नंबर का काम।
नहीं चलेगा एक भी, कर देगा बदनाम ।।
कर देगा बदनाम, तब चर्चा चारों ओर ।
गिराय खड्डा माय, तब कौन लगावे जोर ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, होय न गलती इस बार ।
साहब से लो शीट, कर-कर भारी मनुहार ।।



भावार्थः- नजरी नक्षा बनाकर भवन नंबर एवं जनगणना मकान नंबर डालने में पूर्णतः सावधानी रखी जानी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार की अनियमितताएं न स्वयं करे न होने दे। त्रुटियां उजागर होने पर आप चर्चा के विषय बनकर अपयष के भागी भी बन सकते हैं। जब आप लापरवाही के कारण अपने ही द्वारा निर्मित मुसीबत रूपी गड्डे में गिर जाएंगे तब कौन आपकी मदद करेगा।

‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते है कि पूर्व में आपसे त्रुटियां हुई, लगातार कुछ गलतियांे की पुनरावृत्ति होने से कुछ शीटें बिल्कुल खराब हो चुकी है। अब तो एक ही रास्ता है कि उच्च अधिकारीजी से मनुहार व खुषामद कर करके कुछ नई शीटे फिर से अलोट कराओ और कार्य को सावधानी पूर्वक पूर्ण करो।