संभालो अपना तीर

लगाय सोच विचार के, टेड़े-मेडे़ तीर ।
गलत दिषा में चल गए, कर देंगे गंभीर ।।
कर देंगे गंभीर, जाए मकान भी छूट ।
जहां सुने समाचार, पर्यवेक्षक आय रूठ ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, रखे नहीं कोई धीर ।
भारी डाट पिलाय, संभालो अपना तीर ।।


भावार्थः-
नजरी नक्षा में भवन संख्या डालते समय आप कहां से कहां होते हुए किस दिषा की ओर मुड़े यह सब स्पष्ट रूप से दर्षाने के लिए नक्षे में आवष्यकतानुसार तीर का प्रयोग करना होगा। जिस स्थान से आप जिस दिषा की ओर मुड़ रहे हैं उस दिषा को तीर द्वारा भी दर्षाना होगा। गलत दिषा में तीर का निषान लगा देने से भवन छूटने की संभावना बढ़ जाती है। जब पर्यवेक्षक को यह पता लगेगा की अमुख प्रगणक द्वारा कुछ भवन छूट गए हैं तब वह तुरन्त ही धैर्यहीन होकर संबंधित प्रगणक को ओवरडाइट मात्रा में हाई डॉज डॉट पिलाते हुए कहेेंगें भाई जरा अपने तीर को संभालों यह किधर जाना चाहिए और देखो-देखो यह किधर जा रहा है।