पहचानों निज ब्लॉक को, जैसे अपनो गांव ।
हाथ मिलाय गले लगा, कभी छुलो तुम पांव ।।
कभी छुपो तुम पांव, कहो उनको राम-राम ।
इनको सत श्री काल, उनको मालिकम सलाम ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, क्रिष्चयन जय मसीही ।
करनी यूं पहचान, बढती जाए करीबी ।।
हाथ मिलाय गले लगा, कभी छुलो तुम पांव ।।
कभी छुपो तुम पांव, कहो उनको राम-राम ।
इनको सत श्री काल, उनको मालिकम सलाम ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, क्रिष्चयन जय मसीही ।
करनी यूं पहचान, बढती जाए करीबी ।।
भावार्थः- सभी प्रगणकों को ‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते है कि वे अपने ब्लॉक को इस इस आत्मीयता एवं प्रसन्नता के साथ देखते हुए पहचाने कि जैसे कि हम अपने गांव को देख रहे हो। किसी से हाथ मिलाना तो किसी के गले मिलना, बडे बुजुर्गो के पांव छूकर राम-राम करना। संयोग से कोई सरदार जी मिल जाए तो उनको सतश्री अकाल और मुस्लिम भाई को सलाम अर्ज करें। इसी दौर में कोई क्रिष्चियन भाई मिलता है जय मसीही कह कर संबोधित करें।
अपने ब्लॉक में आप इस प्रकार अपनी पहचान बनाये कि सभी की आपके प्रति आत्मीयता स्वतः बढती जाए। जिसे जनगणना के कार्यो में आषातीत सहयोग के साथ-साथ मानवीय गुणों का आदान-प्रदान भी होता रहे।

अपने ब्लॉक में आप इस प्रकार अपनी पहचान बनाये कि सभी की आपके प्रति आत्मीयता स्वतः बढती जाए। जिसे जनगणना के कार्यो में आषातीत सहयोग के साथ-साथ मानवीय गुणों का आदान-प्रदान भी होता रहे।
