श्रीगणेश

काम बड़ा ही काम का, हो गया श्रीगणेश।
सावधानी यूँ रखना, नाम रहे ना शेष।।
नाम रहे ना शेष, नहीं गिनाएं दुबारा।
पहले उनसे पूछ, कब तक रहेगा प्यारा।
‘वाणी’ मिलते दाम, डंका बाजे नाम का
अक्षर लिखना सुंदर, अक्षर-अक्षर काम का।।


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भावार्थः-
सारे देश में जनगणना का कार्य एक साथ प्रारंभ हो चुका है। प्रशिक्षण के दौर चल रहे हैं। सभी प्रगणक, पर्यवेक्षक एवं इससे जुडे़ हुए सभी कर्मचारियों के लिए यह बड़े ही गर्व और उत्साहपूर्ण कार्य है। इस कार्य में प्रारंभ से लेकर अंत तक सबसे बड़ी सावधानी यही रखनी है कि कोई भी नाम एवं मकान ना तो गिनती से वंचित रहे एवं ना भूलवश दुबारा गिना जाए। वार्ता के दौरान उत्तरदाता से यह भी स्पष्ट रूप से पूछ लेना चाहिए कि आप इस स्थान पर कितने समय तक रहने का मानस रखते हैं, क्योंकि प्रश्न संख्या एक के अंदर ही आपको उसकी निवास की स्थिति दर्षाते हुए कोड सं. 1,2,3 मे से कोई भी एक कोड अवष्य देना होगा।
अमृत ‘वाणी‘ कविराज कहते हैं कि हे महानुभावों ! इस कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा सम्मानजनक मानदेय के साथ-साथ आपके उत्कृष्ट कार्य की प्रशंसा करते हुए पुरूस्कृत करने का सुनियोजित प्रावधान भी है। नजरी नक्शा, मकान सूचीकरण राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, प्रगणक सार, पावती रसीद इत्यादि समस्त कागजातों में आप जमा-जमा कर धीरे-धीरे सुन्दर-सुन्दर सुपाठ्य अक्षर लिखें, यह सोच करके कि आपके हाथों से लिखा गया एक-एक अक्षर भावी राष्ट्रीय योजनाओं के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।