मानव जात

कॉलम 15 अ.जा.या अ.ज.जा. या अन्य:
अ.जा.-1/अ.ज.जा.-2/अन्य-3


सब ईष्वर के लाल हैं, कहाय मानव जात।
मतलब की टकरार से, बनी हजारों जात।।
बनी हजारों जात, जात-जात नियम भारी।
जोड़-जोड़ कर हाथ, नमन करते नर-नारी।।
‘वाणी’ कहे सरकार अ.जा.एक अ.ज.जा दो।
बाकी जितनी जात, तुम तीन कोड लिखादो।।


भावार्थः
-हम सभी परम पिता परमात्मा के बच्चे हैं, हमारी मूल जाति मानव जाति है। कई प्रकार के सम-विषम परिस्थितियों एवं मतलबी तकरारों से ही हजारों प्रकार की जातियां, उपजातियां का प्रकटीकरण हुआ। प्रत्येक जाति के अपने-अपने नियम, उपनियम हैं , जिनमें से कुछ नियम तो चांद सूरज की भांति ऐसे षाष्वत रूप ले चुके हैं कि उनके करोड़ों अनुयायी आज भी प्रतिदिन उनका श्रद्धापूर्वक पालन किया करते हैं।

’वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि अनुसूचित जाति का सदस्य है तो कोड 1 ,अनुसूचित जनजाति का सदस्य है तो कोड 2 दर्ज करना है। जो व्यक्ति इन दोनों में से किसी एक भी कोड के लिए पात्र नहीं हैं वे सभी कोड नं0 3 पाने के अधिकारी हैं ।

सभी प्रगणकों को जनगणना विभाग की ओर से एक लिस्ट उपलब्ध कराई जाती है जो वहां की राज्य सरकार द्वारा भी प्रमाणित होती है। उसी को आधार मानते हुए प्रगणकों को प्रत्येक परिवार के लिए कोड नं0 1/2/3 में से कोई एक कोड दर्षाने चाहिए।