कहाँ सब्जी मण्डी

अगल-बगल नाम लिख दो, लगते पास पड़ोस ।
ब्लॉक नंबर भी लिखो, रहे न मोटा दोष ।।
रहे न मोटा दोष, मंदिर-मस्जिद डाकघर ।
कुआं नल हैण्डपम्प, ताल तलैया नदी नहर ।।
‘वाणी‘ सड़क बताय, कच्ची-पक्की पगडण्डी ।
कहां निकलती रेल, है कहां सब्जी मण्डी ।।



भावार्थः- नजरी नक्षे को बनाते समय इस बात का विषेष ध्यान रखना चाहिए कि आपके ब्लॉक के अगल-बगल में कौन-कौन से ब्लॉक नंबर हैं, यदि आपको ग्रामीण क्षेत्र मिला हो तो आस पास के गांव के नाम एवं मार्ग दर्षाने होंगे। नजरी नक्षे में जहां कहीं मंदिर, मस्जिद, डाकघर, कुआं, नल, हैंडपम्प, ताल-तलैया, नदी इत्यादि आते हों तो वे पुस्तक में दर्षाए संकेतानुसार ही चिन्हित करने चाहिए।

‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते है कि कच्ची सड़क एवं पक्की सड़क, पगडंडी जहां जैसी भी संरचना है उन्हें संकेतांे के माध्यम से दर्षाना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों को उनके लोकप्रिय स्थानीय नाम सहित लिखने से ब्लॉक को सही-सही पहचानने में सुविधा रहती है।