दीवार (दीवार की प्रमुख सामग्री)

घास/फूस/बांस/इत्यादि................1
प्लास्टिक/पॉलीथीन...............2
मिट्टी/कच्ची ईंट...............3
लकड़ी ...............4
पत्थर(मसाला/गारे के साथ नहीं).........5 पत्थर(मसाला/गारे के साथ )............6
जी.आई./धातु/एस्बेस्टास चादरें.......7
पक्की ईंट....................8
कंक्रीट..................9
कोई अन्य...............0

घास फूस का एक है, दो पालीथिन पाय ।
कच्ची ईंट मिट्टी लगी, कोड तीन लिखवाय ।।
कोड तीन लिखवाय, लकड़ी लिखवावे चार ।
पत्थर गारा पांच, छः चादर सात विचार ।।
इंटे पक्की आठ, नंबर नो है कंक्रीट ।
यदि लगा अलग माल, कर फटाफट जीरो फिट।।


भावार्थः-
लोग कहते हैं सोच-समझ कर बोलो भाई, दीवारों के भी कान होते हैं, लेकिन आज वैज्ञानिक युग में दीवार के रूप में अस्थाई तौर पर काम में लिए गये प्लास्टिक एवं पारदर्षक पॉलिथीन को देखकर बेषक यूं कहना पडे़गा कि जरा संभलके रहना भाई आजकल की दीवारों के आंखे भी होती हैं।

दीवारों के कोड नम्बर दर्षाने के लिए कोड क्रमांक 1 से 5 तक अस्थाई सामग्रियों के कोड दिए हैं यथा कोड नंबर 1 घास फूस बांस इत्यादि सामग्री के लिए, प्लास्टिक/पालीथिन के लिए कोड दो, मिट्टी कच्ची ईट के लिए कोड 3, लकड़ी एवं प्लाईवुड के अस्थाई पार्टेषन लगे हों तो कोड चार। यदि पत्थरों की दीवारें हैं मगर सूखी चुनाई यानि किसी प्रकार का मषाला या मिट्टी से चुनाई, नहीं की गई हो तो इन दीवारों में स्थायित्व नहीं आ सकता है, एवं उन्हंे कोड नंबर 5 देने हांेगेे। यदि पत्थर चुनाई में मसाला या मिट्टी का प्रयोग हुआ हो तो कोड 6 लगेगा। जी.आई./धातु/एस्बेस्टास की चादरें प्रयुक्त हुई हों तो कोड 7, पक्की ईंटें मसाला गारे के साथ हो तो कोड 8 और अत्याधुनिक निर्माणानुसार आरसीसी कार्य हो तो कोड 9, इन सब के अतिरिक्त और कोई अन्य विधि/तकनीकी अपनाई गई हो तो कोड नंबर 0 दर्ज करने होंगे।