कोई बंदा यूं कहे, नहीं करूं यह काम ।
बाधा डाले काम में, दौड़ बिगाडे़ काम ।।
दौड़ बिगाड़े काम, या गलत उत्तर देवे ।
बिना मंजूरी लेय, तथ्य कहीं बता देवे ।।
‘वाणी‘ टीम बनाय, वो धंधा यही करता ।
जुर्माना है हजार, तीन साल जेल सड़ता ।।
बाधा डाले काम में, दौड़ बिगाडे़ काम ।।
दौड़ बिगाड़े काम, या गलत उत्तर देवे ।
बिना मंजूरी लेय, तथ्य कहीं बता देवे ।।
‘वाणी‘ टीम बनाय, वो धंधा यही करता ।
जुर्माना है हजार, तीन साल जेल सड़ता ।।
भावार्थः- यदि कोई व्यक्ति इस कार्य को करने से मना करता या कार्य में जान बुझकर बाधा डालता, बार-बार जनगणना के कार्य को बिगाड़ने की कोशिश करता, जानबुझकर गलत उत्तर देता है तो न्यायिक दृष्टिकोण से वह निःसंदेह सजा का पात्र है।
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि यदि उसने अपनी कोई टीम गठित कर ली है या वह अकेला ही इन कार्यों में निरन्तर बाधाएं पहुंचा रहा है, बिना मंजूरी के कोई गोपनीय तथ्य वह किसी को बता रहा है तो ऐसी परिस्थितियों में जनगणना अधिनियम 1948 अथवा जनगणना 1990 की धारा 11(1) व 11(2) में उक्त अपराधों का स्पष्ट वर्णन किया गया है। गंभीरता के अनुरूप सजा बताई गई। 1000/- रू. तक का जुर्माना व 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। सभी को यथासंभव इस प्रकार की सजा से बचने का प्रयास करते हुए अपने कार्य की गुणवत्ता पर ही विशेष ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।