पर्यवेक्षक जो भी बने, देने को निर्देश ।
बातें इनकी मान लो, नहीं करो तुम बेस ।।
नहीं करो तुम बेस, मानो ये महाज्ञानी ।
दौरा करते आय, पिलाओ ठण्डा पानी ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, भूल सुधारेंगे अभी ।
मिलाय इनसे हाथ, मिलझुल के चलना सभी ।।
बातें इनकी मान लो, नहीं करो तुम बेस ।।
नहीं करो तुम बेस, मानो ये महाज्ञानी ।
दौरा करते आय, पिलाओ ठण्डा पानी ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, भूल सुधारेंगे अभी ।
मिलाय इनसे हाथ, मिलझुल के चलना सभी ।।
भावार्थः- हे प्रगणक महानुभावों ! आपके लिए जो भी पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं वे आपको भली भांति दिशा-निर्देश देने के लिए ही हैं। आप उनकी बातें ध्यान पूर्वक सुनते हुए समझने की कोशिश करें। अनावश्यक किसी प्रकार की बहस नहीं करें।
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि यह सोचकर ही उनकी बातंे सुनते जाओ कि ये जनगणना कार्य के निर्विवादित क्षेत्रीय महापंडित हैं। अभी यह अपने अधीन क्षेत्र का दौरा करते हुए आए हैं। इन्हें प्रेमपूर्वक ठण्डा पानी पिलाओ और अपनी कोई समस्या हो तो इनके सामने प्रस्तुत करोे। ये महानुभाव उसका निराकरण करेंगे। वैचारिक तालमेल बनाकर अर्थात् हाथ से हाथ मिलाकर इनके साथ चलते हुए जनगणना कार्य को पूर्ण सफल बनाएं।