अध्ययन करो किताब का, प्रगणक महानुभाव ।
समझ-समझ कर समझिए, खास-खास सब भाव ।।
खास-खास सब भाव, अपने ब्लॉक से परिचित ।
गांव खेत खलिहान, रहे ना कोई वंचित ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, दिखे लगा हुआ ताला ।
पूछो पास पड़ोस, आएगा कब घरवाला ।
समझ-समझ कर समझिए, खास-खास सब भाव ।।
खास-खास सब भाव, अपने ब्लॉक से परिचित ।
गांव खेत खलिहान, रहे ना कोई वंचित ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, दिखे लगा हुआ ताला ।
पूछो पास पड़ोस, आएगा कब घरवाला ।
भावार्थः- प्रगणकों का प्रथम प्रमुख कार्य यह है कि जो दोनों पुस्तकंेेे आपको जनगणना विभाग द्वारा दी गई हैं, उन्हीं का बारम्बार अध्ययन करें। जब तक विशेष बिन्दू पूर्णतः समझ में नहीं आए तब तक पढ़ते हुए समझने की कोशिश करंे। प्रगणक को सर्व प्रथम अपने ब्लॉक से भली भांति परिचित हो जाना चाहिए। यदि आपके ब्लॉक में खेत , खलिहान आ रहे हों तो उन्हें भी सावधानी पूर्वक सम्मिलित करें। क्योंकि नजरी नक्शे में मकान सूचीकरण में एवं परिवार अनुसूची में कोई भी भवन या कोई भी व्यक्ति आप द्वारा छूट न जाए।
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि यदि आपको किसी भवन में ताला लगा हुआ मिलता है तो वहां थोड़ी देर ठहर कर आस-पड़ोस से पूछकर यह जानकारी हांसिल करने की पूरी कोशिश करें कि वह वापस लौटकर आने वाला है तो कब तक उसके जनगणना स्थल पर पहुंचने की संभावना है।