पाठ ज्यूं रामायण का, करते सब परिवार ।
जनगणना की किताब को, पढ़ना बारंबार ।।
पढ़ना बारंबार, पार यही लगावेगी ।
कोई रूठा जाय, उसको यही मनावेगी ।।
कह’वाणी’कविराज, फिर भी समझ में न आय ।
सुपर वाईजर फोन , दौड़-दोड़ कर समझाय ।।
जनगणना की किताब को, पढ़ना बारंबार ।।
पढ़ना बारंबार, पार यही लगावेगी ।
कोई रूठा जाय, उसको यही मनावेगी ।।
कह’वाणी’कविराज, फिर भी समझ में न आय ।
सुपर वाईजर फोन , दौड़-दोड़ कर समझाय ।।
भावार्थ:- अनन्त श्रद्धा, विश्वास आत्मोद्धार के भावानुरूप जैसे हम धार्मिक पुस्तकों का यथा ’रामायण’ इत्यादि का पाठ करते हैं इसी भांति जनगणनाा के इस राष्ट्र्ीय कार्य से जुड़े हुए सभी प्रगणक सुपरवाइजर एम0टी0 आदि व्यक्तियों को इन दोनों पुस्तकों का पर्याप्त अध्ययन करना चाहिए । आपकी सारी जिज्ञासाओं और संशयों को ये दोनों पुुस्तकें ही दूर करेंगी।
कोई असंतुष्ट होकर रूठ गया तो उसके सारे संदेह इन्हीं पुस्तकों से दूर होंगे। ये दोनों पुस्तके ही उन्हेें पुनः समझा-बुझा कर निकट लावेगी ।
’वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि कुछ प्रगणक आपसी चर्चा द्वारा किसी बात को नहीं समझ पा रहे हों तोे उन्हें चाहिए कि अपने सुपरवाइजर को फोन करके बुलाए । वे जहां भी होंगे शीघ्रातिशीघ्र आपके पास आकर सभी संशय चंद मिनटों में ही दूर कर देंगे।