नक्शा बने जब नजरी, सब नजर का कमाल।
बिन पैमाने के रचो, इतना रखना ख्याल।।
इतना रखना ख्याल, कितने बने हैं मकान।
आए जहां भूकम्प, कितने मिट गए निशान।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, करेगा सही सुरक्षा।
नजरे ना लग जाय, बने जब नजरी नक्शा।।
बिन पैमाने के रचो, इतना रखना ख्याल।।
इतना रखना ख्याल, कितने बने हैं मकान।
आए जहां भूकम्प, कितने मिट गए निशान।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, करेगा सही सुरक्षा।
नजरे ना लग जाय, बने जब नजरी नक्शा।।
भावार्थः- नजरी नक्शा बनाना भी अपने आप में एक कौशल है। इसमें आंखों द्वारा दूरियों का अन्दाजा लगाते हुए यथास्थिति दर्शानी होती है। अपेक्षित नजरी नक्शेे में जितने भवन बने हुए हैं, वे सभी उनके क्रमानुसार आने चाहिए। किन्हीं कारणों से जो भवन गिर गए हैं, खण्डहर या मलवे के ढे़र में तब्दील हो गए, उन्हंे जनगणना के नजरी नक्शे में नहीं दर्शाना।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि आपके आगामी कार्यों का प्रमुख आधार यह नजरी नक्शा ही होगा, इसलिए नजरी नक्शे को इतनी सावधानी से एवं इतना सुन्दर बनाने का सफल प्रयास करें कि कहीं दर्शकगण, आपके साथी, प्रगणक मित्र, पर्यवेक्षक एवं अधिकारी वर्ग किसी की नजर नहीं लग जाए।