योजनाएं बड़ी-बड़ी, बनी देष के माय ।
उपग्रह अपने देष का, चेनल देय चलाय ।।
चेनल देय चलाय, चहुंमुखी होए विकास ।
कच्ची बस्ती माय, होंगे सुंदर आवास ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, दूर होंगी बाधाएं ।
टिकी रहे मुस्कान, मानो सफल योजनाएं ।।
उपग्रह अपने देष का, चेनल देय चलाय ।।
चेनल देय चलाय, चहुंमुखी होए विकास ।
कच्ची बस्ती माय, होंगे सुंदर आवास ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, दूर होंगी बाधाएं ।
टिकी रहे मुस्कान, मानो सफल योजनाएं ।।
भावार्थः- सभी प्रगणक वर्ग घर-घर जाकर सभी प्रष्नों के उत्तर मकान सूचीकरण एवं परिवार अनुसूची में दर्ज कर रहे हैं। इससे देष की वर्तमान परिस्थितियों के सभी अपेक्षित आंकडे़ एक साथ उपलब्ध हो सकेंगे। इन्हीं आंकड़ों का विष्लेषण करती हुई हमारी केन्द्र व राज्य सरकारों में छोटी बड़ी कई प्रकार की योजनाएं समय-समय पर बनती रहती है।ं
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि सेटेलाइट से सैकड़ो प्रकार के चेनल चलना यह हमारी सूचना क्रान्ति की ऐतिहासिक विजय है। चारों ओर विकास गंगा बह रही है। धीरे-धीरे कच्ची बस्ती क्षेत्रों में भी कई सुविधाओं से युक्त सुन्दर-सुन्दर आवास बनने लगे हैं। वहां के निवासियों की कई प्रकार की बाधाएं दूर होंगी एवं उनके चेहरों की स्थाई मुस्कान ही योजनाओं की सफलताओं के सच्चे प्रतीक हैं।