भवन मिलंेगे यूं कई, दो-दो होंगे द्वार ।
जनगणना मकान में, हैं दो-दो परिवार ।।
हैं दो-दो परिवार, ऐसे उन्हंे लिखोगे ।
मकान नंबर और, दुबारा नहीं लिखोगे ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, परिवार क्रमांक बदले ।
कालम पूरा होय, अब अगले मकान चले ।।
जनगणना मकान में, हैं दो-दो परिवार ।।
हैं दो-दो परिवार, ऐसे उन्हंे लिखोगे ।
मकान नंबर और, दुबारा नहीं लिखोगे ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, परिवार क्रमांक बदले ।
कालम पूरा होय, अब अगले मकान चले ।।
भावार्थः- कहीं-कहीं तो प्रगणक महानुभावों को ऐसा भी देखने को मिल सकता है कि एक भवन है, एक जनगणना मकान है और एक ही जनगणना मकान में दो परिवार रह रहे हैं। ऐसी स्थिति में भवन नंबर एवं जनगणना मकान नंबर को किसी को भी दुबारा लिखने की आवष्यकता नहीं है। केवल उनके नीचे डेष लगाना ही पर्याप्त होगा, किन्तु परिवार क्रमांक की संख्या अवष्य बदलेगी, क्यांेकि दोनों ही अलग-अलग परिवार हैं।
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि इस प्रकार यह कॉलम पूरा करते हुए तुरन्त अगले कालम की ओर बढ़ना चाहिए।