सारी जनता जानती, क्या जनगणना होय।
सुन्दर प्रगणक देखके, मदद करे सब कोय।।
मदद करे सब कोय, पूछो काम की बातें।
कैसे मिले पड़ौस, बताओ उनकी बातें
‘वाणी’ पूरा ध्यान, बोले कोई कुंआरी।
निकले अर्थ अनेक, पछतायगा तू भारी।।
सुन्दर प्रगणक देखके, मदद करे सब कोय।।
मदद करे सब कोय, पूछो काम की बातें।
कैसे मिले पड़ौस, बताओ उनकी बातें
‘वाणी’ पूरा ध्यान, बोले कोई कुंआरी।
निकले अर्थ अनेक, पछतायगा तू भारी।।
भावार्थ:- सम्पूर्ण देश में जनगणना के प्रथम चरण का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। इसमें कई प्रगणक महानुभाव ऐसे भी हैं जो पहली बार इस यह राष्ट्रीय कार्य में लगे हैैं। उन्हें ‘वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि आज पूरा देश इस बात को जानता है कि जनगणना का कार्य प्रारम्भ हो चुका है और यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। प्रगणकों के अच्छे व्यवहार को देखकर सभी उनकी मदद करेंगे। उनसे बातचीत के दौरान आप उनसे अनुसूचियों में भरने संबंधित आवश्यक बातंे पूछे।
आप उनसे पड़ोस में रहने वाले दम्पतियों के एवं उनके परिवार के बारे में भी कई जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। उत्तरदाता के रूप में कभी बुजुर्गों से कभी प्रौढ़ से तो कभी सुशिक्षित अल्हड़ कंुवारी से आपकी मुलाकात हो सकती है। कुंवारियों से प्रश्नोत्तर के वक्त विशेष सावधानियां रखंे, क्योंकि कभी-कभी उनकी एक-एक बात के अनेक अर्थ निकलते हैं।