बार कोड वो चीज है, समझ सके ना कोय ।
समझने की कोषिष में, नेत्र ज्योति तुम खोय ।।
नेत्र ज्योति तुम खोय, लगे डर भीतर-भीतर ।
कम्प्यूटर की आंख, सही बार कोड रीडर ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, अनुसूचियों का हिसाब ।
कितनी का उपयोग, कुल कितनी हुई खराब ।।
समझने की कोषिष में, नेत्र ज्योति तुम खोय ।।
नेत्र ज्योति तुम खोय, लगे डर भीतर-भीतर ।
कम्प्यूटर की आंख, सही बार कोड रीडर ।।
कह ‘वाणी‘ कविराज, अनुसूचियों का हिसाब ।
कितनी का उपयोग, कुल कितनी हुई खराब ।।
भावार्थः- प्रत्येक मकान अनुसूची के ‘ए‘ भाग पर फार्म संख्या के पहले एक बार कोड मुद्रित है, जिसकी तकनीकी बड़ी ही जटिल है। प्रगणकों के लिए इसे समझना ना तो आसान है ना आवष्यक है। छोटे-छोटे अंको को पढ़ने में आंखांे की पीड़ा हो सकती है। मन में विभिन्न प्रकार की आषंकाएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। केवल कम्प्यूटर की आंख ही इसके लिए एक मात्र ऐसी सक्षम आंख है जो इस कूटलिपी को पूर्णतः पढ़ कर समझ सकती है। एक मात्र वही सही बार कोड रीडर है।
‘वाणी‘ कविराज कहना चाहते हैं कि यह अनुसूचियों के हिसाब का गुप्त लेखा-जोखा है। जिससे इस बात की जानकारी मिल सकती है कि कुल कितनी शीटें उपयोग में ली गई एवं कितनी खराब हुई।