छोटी बड़ी मषीन से, होय जहां निर्माण।
सब काम मषीनें करें, देती जग को त्राण।।
देती जग को त्राण, खुले लाखों वर्कषाप।
दिन हो या रात, हो काम अपने आप।।
कह ‘वाणी’ कविराज, सभी सर्विसिंग स्टेषन।
चांवल, आटा, तेल, मिटाए सबके टेंषन।।
सब काम मषीनें करें, देती जग को त्राण।।
देती जग को त्राण, खुले लाखों वर्कषाप।
दिन हो या रात, हो काम अपने आप।।
कह ‘वाणी’ कविराज, सभी सर्विसिंग स्टेषन।
चांवल, आटा, तेल, मिटाए सबके टेंषन।।
भावार्थः- जनगणना मकानों की वास्तविक उपयोगिता दर्षाने के क्रम में कोड नं. 7, फैक्ट्री/वर्कषॉप/वर्कषेड आदि के लिए सुनिष्चित किया गया है। छोटी-बड़ी मषीनों से जहां निर्माण कार्य किया जाता है। मषीन कम समय में अधिक उत्पादन करके हमारी आवष्यकताएं पूर्ण कर देती हैं। ऐसे कई वर्कषॉप, फैक्ट्रीयां रात-दिन चल रही हैं।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि कहीं सर्विस स्टेषन है। कहीं चांवल, आटा, तेल की मिलें हैं जो हमारे कई प्रकार के टेंषन दूर कर रही हैं। कुछ वर्कषॉप में वस्तुओं का निर्माण संसाधन, मरम्मत आदि कार्य होते है सूती मिलें, बेकरी, फर्निचर बनाना, डेरी, प्रिटिंग प्रेस आटा, तेल और चांवल की मिलंे लोहारी, सुनारी वर्कषॉप आदि अनेक प्रकार के कार्य होते हैं।