वृद्धाश्रम जहां चलता, वहीं बना आवास।
होटल, हॉस्टल दिखते, गेस्ट हाउस निवास।।
गेस्ट हाउस निवास, है कहीं कहीं पर जैल।
कैदी डण्डे खाय, निकले सबका सब तेल।।
कह ‘वाणी’ कविराज, कहीं आवास सह लाज।
आय मुसाफिर रोज, सब साधे अपना काज।।
होटल, हॉस्टल दिखते, गेस्ट हाउस निवास।।
गेस्ट हाउस निवास, है कहीं कहीं पर जैल।
कैदी डण्डे खाय, निकले सबका सब तेल।।
कह ‘वाणी’ कविराज, कहीं आवास सह लाज।
आय मुसाफिर रोज, सब साधे अपना काज।।
भावार्थः- संस्थागत परिवार की प्रमुख पहचान केवल उस संस्था का पंजीयन ही है। पंजीयनोपरान्त ही कोई संस्था वैधानिक स्वरुप में आ सकती है। आवास के साथ कुछ संस्थाएं इस प्रकार की हो सकती हैं- यथा आवास सह वृद्धाश्रम, आवास सह होटल, आवास सह हॉस्टल, आवास सह गेस्ट हाउस, कहीं आवास सह जेल, आवास सह लॉज, इस प्रकार की कई तरह की स्थितियां मिल सकती हैं जो आवास के साथ जुड़ी हो सकती है। उनको आवास सह मानकर दो कोड देने होंगे।