जलाऊ लकड़ी.................1 फसल का अवषेष...............................2
उपला (छाणा)..................3 पक्का कोयला/लिग्नाइट/
कच्चा कोयला......................................4
एल.पी.जी./पी.एन.जी...6 बिजली..................................................7
गोबर गैस........................8 अन्य कोई ...........................................9
खाना नहीं पकाते हैं...........................0
कोड एक लकड़ी जले, दोय फसल अवषेष।
कोड तीन उपला जले, कभी-कभी कुछ केष।।
कभी-कभी कुछ केष, कोयला चार जलावे।
केरोसीन के पांच, छः एलपीजी लिखावे।।
‘वाणी’ बिजली सात, रखो कोड तुम यूं याद
आठ बायो नौ अन्य, पके नहीं जीरो स्वाद।।
कोड तीन उपला जले, कभी-कभी कुछ केष।।
कभी-कभी कुछ केष, कोयला चार जलावे।
केरोसीन के पांच, छः एलपीजी लिखावे।।
‘वाणी’ बिजली सात, रखो कोड तुम यूं याद
आठ बायो नौ अन्य, पके नहीं जीरो स्वाद।।
भावार्थः- कालम नं. 27 में खाना पकाने के लिए अधिकांषतः किस प्रकार का ईंधन काम में लिया जाता है। यही जानकारी चाही गई है।
‘वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि खाना जलाऊ लकड़ी से बनाया जाता है तो कोड 1, फसल के अवषेष से बनता हो तो कोड 2, उपला (छाना) जलता है तो कोड 3 लिखें। कच्चा या पक्का किसी भी प्रकार का कोयला जलाया जाता है तो कोड 4 दर्ज करो। मिट्टी के तेल का उपयोग हो तो 5, एलपीजी अथवा पी.एन.जी. का उपयोग हो तो 6 बिजली द्वारा संचालित उपकरण काम में लिए जाते हैं तो कोड 7, गोबर गैस के लिए कोड 8 देवें। इन सबके अतिरिक्त अन्य कोई विधि अपनाई जाती है तो कोड 9 और यदि खाना पकाया ही नहीं जाता हो तो ऐसी विचित्र स्थिति में कोड 0 दर्ज करें। 0 कोड में भी जीरे का स्वाद तो आता ही है क्योंकि वे कहीं न कहीं तो भोजन करने जाते ही होंगे या किसी टिफिन व्यवस्था से अवष्य जुडे़ होंगे।